Sarso ki kheti मुख्य रूप से पंजाब, राजस्थान,उत्तर प्रदेश, बिहार,पश्चिम बंगाल,गुजरात में की जाती है। यह खेती रबी मौसम में की जाने वाली मुख्य फसल में से एक है। सरसों की खेती से किसानों को ज्यादा मात्रा में मुनाफा प्राप्त होता है। इसे काला सोना भी कहा जाता है। सरसों यह तिलहन के लिए उपयोग में लाया जाने वाली फसल है। भारत में तथा बाहरी देश में भी सरसों का तेल उपयोग में लाया जाता है। पश्चिम बंगाल, बिहार तथा उत्तर प्रदेश में सरसों का तेल मुख्य खाद्य तेल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। सरसों की मांग भारत तथा बाहरी देशों में बनी रहती है। इसके वजह से किसानों को बहुत मुनाफा मिलता है। तो चलिए दोस्तों Sarso ki kheti के बारे में पूरी विस्तार से जानकारी लेंगे।
Sarso ki kheti - सरसों की खेती कम पानी में ज्यादा पैदावार
Sarso ki kheti रबी मौसम में की जाती है। यह एक तिलहनी फसल है। प्रमुख फसल के रूप में राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गुजरात, उत्तर प्रदेश में उगाई जाती है। सरसों का तेल बहुत गुणकारी होने की वजह से इसका इस्तेमाल पूरे भारत भर में होता है। पेट की समस्याओं से तथा कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखने में मदद करता है। सरकार ने भी सरसों पर कीमत बढ़ाई है। इसलिए किसान भाई इसकी पैदावार में और बुवाई में ज्यादा भार दे रहे हैं। Sarso ki kheti कम पानी में भी की जाती है। और अधिक पैदावार देती है।
सरसों के लिए उपयुक्त जलवायु
Sarso ki kheti के लिए 25 से 28 डिग्री का तापमान आवश्यक होता है। तथा ठंडी का मौसम सरसों के फसल के लिए उपयुक्त माना गया है। सरसों कम पानी में भी ज्यादा पैदावार देने वाली फसल है। बुवाई के समय 15 से 25 डिग्री तापमान होना आवश्यक है। तब सरसों अच्छी मात्रा में अंकुरित होती है।जमीन का चयन
Sarso ki kheti मध्यम से भारी जमीन मैं की जाती है। जमीन का पीएच 6.5 से 7.5 के बीच में होना चाहिए। अच्छी जल निकास वाली जमीन अच्छी पैदावार देती है। काली मिट्टी तथा दोमट मिट्टी सरसों के खेती के लिए अच्छी मानी गई है।खेत की तैयारी
Sarso ki kheti के लिए जमीन तैयार करना आवश्यक है। सरसों रबी मौसम में ली जाने वाली फसल है। तो हमारे खेत में जो भी फसल थी उसको निकालकर सारे खरपतवार को नष्ट कर देना चाहिए। और आडी खड़ी जुताई कर लेनी चाहिए। बाद में पूरे खेत में सड़ी हुई गोबर की खाद डाल देनी चाहिए। जमीन में रोटावेटर करके जमीन को भुरभुरा बना लेना चाहिए।सरसों की किस्म
सरसों की अच्छी पैदावार लेने के लिए अच्छी किस्म का चयन करना आवश्यक है।पूसा सरसों 29, पूसा सरसों 30, पिडी जेड 1, एल ई एस 54, RH 749, एनआर सी डिआर 2, रोहिणी, एनआरसी एचबी 101, RH 30, T59 (वरुणा ) , जीएसी 7 , एस ईएस 54, पीडीजेड 1, वरुण,पूसा गोल्ड इन किस्मों का इस्तेमाल करना चाहिए।
बीज की मात्रा
सरसों की बुवाई के लिए असिंचित क्षेत्र में चार से पांच किलो सरसों आवश्यक होता है। वही सिंचित क्षेत्र के लिए तीन से चार किलो सरसों का बीज पर्याप्त है।बीज उपचार
बुवाई के पहले बीज का उपचार करना आवश्यक है। बीज को फफूंद नाशक दवाई लगाकर बुवाई करनी चाहिए। इसके लिए बाविस्टीन,ट्राइकोडर्मा यह दवाइयां आती है। इसे 3 से 4 ग्राम प्रति किलो के हिसाब से लगाकर बीज को उपचारित करना चाहिए। अंकुरण क्षमता बढ़ाने के लिए झेलोरा नामक दवाई आती है। वह भी फफूंद नाशक का काम करती है। 2 मिली प्रति किलो के हिसाब से उसे लगाना चाहिए। कीटों से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड 70% WP के 10 मिली प्रति किलो बिज को लगाकर उपचारित करना चाहिए।
सरसों की बुवाई
सरसों की बुवाई करते समय 25 से 26 डिग्री तापमान का होना आवश्यक है। सरसों की बुवाई 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच में करना किसानों के लिए फायदेमंद होता है। बुवाई करते समय किसान भाई बीज का अवश्य ध्यान रखें। बुवाई करते समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए। तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 से 12 सेंटीमीटर होनी चाहिए। बीज 5 से 6 सेंटीमीटर गहराई में जाना चाहिए। यह सब बुवाई के समय ध्यान रखना चाहिए।सिंचाई
सरसों में तीन-चार बार सिंचाई की जरूरत होती है। अंकुरण के 30 से 35 दिन होने के बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए। अगर बलुई मिट्टी है तो पहली सिंचाई पानी से 30 दिनों में कर सकते हैं। बाद में दूसरी सिंचाई फूल आने के समय पर करनी चाहिए। और तीसरी सिंचाई फली में दाना भरने के समय कर देनी चाहिए। ताकि दाना का अच्छा विकास हो।उर्वरक
Sarso ki kheti में 10 से 12 टन गोबर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालना चाहिए। 50 किलो यूरिया 250 किलो सिंगल सुपर फास्फेट 50 किलो पोटाश यह बुवाई के पहले खेत में डाल देना चाहिए। 60 किलो यूरिया बुवाई के समय खेत में डालना चाहिए। पहले सिंचाई के बाद 50 किलो यूरिया खेत में फेंक देना चाहिए।खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार नियंत्रण करना आवश्यक होता है। अगर हम सही समय पर निराई गुड़ाई नहीं करते हैं। तो हमारी 50% पैदावार में गिरावट आ सकती है। इसलिए मजदूरों की मदद से निराई गुड़ाई कर लेनी चाहिए।सरसों की फसल पर लगने वाली किट
बालों वाली सुंडीइसका खतरा नवंबर से दिसंबर में होता है। यह सुंडी सरसों पर आक्रमण करती है। यह सारे पौधे के पत्तियों को खाकर अपना गुजारा कर ती है। इससे पौधे का नुकसान हो जाता है। और पैदावार में भारी गिरावट आ सकती है। इसके लिए 250 मीली मोनोक्रोटोफॉस या फिर 500 मीली एंडोसल्फान 35 इसी का 250 लीटर पानी के साथ इस्तेमाल करके प्रति एकड़ में छिड़काव करें।
डोलिया कीड़ा
यह कीड़ा अक्टूबर से दिसंबर तक सक्रिय रहता है। और पौधे में से रस चूस कर अपना गुजारा करता है। इसके वजह से पत्ते सूखने लगते हैं। इसके नियंत्रण के लिए फसल की शुरुआती दौर में 200 मीली मेलिथियान 200 लीटर पानी के साथ एक एकड़ के लिए छिड़काव करें।
आरा मक्खी
आरा मक्खी शुरुआती दौर में ही पौधे का भक्षण करती है। और पत्तों को खाकर पौधे को नष्ट करती है। इसके नियंत्रण हेतु 200 मीली मेलिथियान 50% इसी 200 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें।
फसल की कटाई एवं भंडारण
सरसों की फलिया जब सुनहरी रंग की हो जाती है। तो फसल को मजदूरों की मदद से काट कर रख देनी चाहिए। और मड़ाई करके बीजों को अलग कर लेना चाहिए। बीज भंडारण करने से पहले पूरे सूखे हुए बीज की जांच करें बाद में भंडारण करें।उपज
किसान भाई सरसों की खेती हमारे दिए गए जानकारी के अनुसार करते हैं। तो उन्हें असिंचित क्षेत्रों में से 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उपज मिल सकती है। और सिंचित क्षेत्र में से 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उपज मिल सकती है।निष्कर्ष
किसान भाई दिए गए जानकारी के अनुसार Sarso ki kheti करते हैं। तो अवश्य ही 25 से 30 क्विंटल सरसों का उत्पादन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से ले सकते हैं।FAQs
Que 1. सरसों की बुवाई कौन से महीने में की जाती है?Ans सरसों की बुवाई 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच में करना किसानों के लिए फायदेमंद होता है। बुवाई करते समय किसान भाई बीज का अवश्य ध्यान रखें। बुवाई करते समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए। तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 से 12 सेंटीमीटर होनी चाहिए। बीज 5 से 6 सेंटीमीटर गहराई में जाना चाहिए।
Que 2. 1एकड़ में सरसों कितना होता है?
Ans 1 एकड़ में सरसों 8 से 10 क्विंटल होता है।
Que 3. सरसों की खेती कितने दिन में पक जाती है?
Ans सरसों की फसल 120 से 130 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
Que 4. सरसों में कितने दिन में पानी देना चाहिए?
Ans सरसों में तीन-चार बार सिंचाई की जरूरत होती है। अंकुरण के 30 से 35 दिन होने के बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए। अगर बलुई मिट्टी है तो पहली सिंचाई पानी से 30 दिनों में कर सकते हैं। बाद में दूसरी सिंचाई फूल आने के समय पर करनी चाहिए। और तीसरी सिंचाई फली में दाना भरने के समय कर देनी चाहिए। ताकि दाना का अच्छा विकास हो।
Que 5. सरसों बुवाई में कौन सा खाद डालें?
Ans सरसों की खेती में 10 से 12 टन गोबर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालना चाहिए। 50 किलो यूरिया 250 किलो सिंगल सुपर फास्फेट 50 किलो पोटाश यह बुवाई के पहले खेत में डाल देना चाहिए। 60 किलो यूरिया बुवाई के समय खेत में डालना चाहिए। पहले सिंचाई के बाद 50 किलो यूरिया खेत में फेंक देना चाहिए।
Que 6. यूरिया खाद कितने दिन तक काम करता है?
Ans यूरिया खाद 8 से 10 दिनों तक काम करता है।
Que 7. सरसों में दूसरा पानी कब लगाए?
Ans सरसों में दूसरा पानी 60 से 70 दिनों के आसपास लगाना चाहिए। जब सरसों में फूल आने लगे उस समय दूसरा पानी की जरूरत होती है। किसान भाई को यह भी याद रखना चाहिए। की सरसों को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है। तो हल्की सिंचाई करें।
Que 8. हाइब्रिड सरसों कौन सी है?
Ans SVJH-65, SVJH-84, SVJH-101, कीर्ति, लाडली, SMH-108 और SMH 20-22 यह सब हाइब्रिड सरसों की किस्म है।
Que 9. सबसे अच्छा सरसों का बीज कौन सा है?
Ans पूसा सरसों 29, पूसा सरसों 30, पिडी जेड 1, एल ई एस 54, RH 749, एनआर सी डिआर 2, रोहिणी, एनआरसी एचबी 101, RH 30, T59 (वरुणा ) , जीएसी 7 , एस ईएस 54, पीडीजेड 1, वरुण,पूसा गोल्ड इन किस्मों का इस्तेमाल करना चाहिए।
Que 10. 60 दिन में पकने वाली सरसों कौन सी है?
Ans राज विजय सरसों-2 यह किस्म 60 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
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