भारत में Pyaj ki kheti रब्बी और खरीप में भी कि जाती है। लेकिन अगर हमें अच्छा बाजार भाव चाहिए तो प्याज को अक्टूबर नवंबर में मार्केट में निकाले तो हमें अच्छा खासा मुनाफा मिल सकता है।
इसलिए इसकी रोपाई जून-जुलाई महीने में होनी चाहिए।अगर हम बरसात के मौसम में Pyaj ki kheti करते हैं। तो हमें बारिश होने के बाद प्याज की रोपाई करना अत्यंत जरूरी होता है। उस मौसम में बारिश होने की वजह से हमारा उत्पाद प्रती एकड़ कम से कम 10 से 12 टन मिलने की संभावना होती है।
भारत में Pyaj ki kheti सबसे ज्यादा पैमाने भी की जाती है। भारत और चीन ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा प्याज उगाया जाता है। भारत में लगभग लगभग हर राज्य में Pyaj ki kheti होती है। जिसमें महाराष्ट्र गुजरात आंध्र प्रदेश मध्य प्रदेश तमिलनाडु बिहार उत्तर प्रदेश और पंजाब इन राज्यों में सबसे ज्यादा प्याज उगाए जाते हैं। महाराष्ट्र में नासिक जिले में भी बहुत मात्रा में प्याज की खेती होती है।
Pyaj ki kheti - रोपाई से लेकर भण्डारण करने तक
Pyaj ki kheti के लिए उपयुक्त मृदा
Pyaj ki kheti विभिन्न प्रकार की मृदा में की जा सकती है। उसे मृदा का पीएच 6.5 से लेकर 7.5 तक होना चाहिए। ऐसी मृदा प्याज की खेती के लिए उपयुक्त होती है। दलदली व क्षारीय मृदा इसका चयन न करें क्योंकि ऐसे मृदा में प्याज गलने और सड़ने की ज्यादा संभावना होती हैं।
बुवाई का मौसम व समय
बुवाई का सही समय सितंबर अक्टूबर में होता है। जब हम बुवाई सही समय पर करते हैं। तो हमारा उत्पाद सही समय पर निकलता है। इसलिए बुवाई का समय बहुत आवश्यक है। पर यह ध्यान रखें जब हम बुवाई करेंगे तो मौसम साफ होना चाहिए।
उपयुक्त किस्म
जब हम खरीफ सीजन में Pyaj ki kheti करने का निर्णय लेते हैं। तो हमें अच्छी किस्म की बीज को लेना बहुत जरूरी होता है जो 80 दिन से 100 दिनों में तैयार हो सके।
हमारे किसान भाई पैसे बचाने के चक्कर में पारंपरिक जो बीज है,उन्हीं को इस्तेमाल करते हैं। और इसकी वजह से जो एक समान प्याज नहीं आ पाता है। छोटा-छोटा प्याज आ जाते हैं इसकी वजह से हमारे उत्पाद पर इसका असर दिखता है। इसके लिए हमें अच्छी किस्म का चयन करना अति आवश्यक हो जाता है। ताकि हमारा उत्पादन ज्यादा से ज्यादा हो तो ऐसी कुछ किस्म है। जो अच्छी खासी पैदावार देने में सक्षम है तो आप इन किस्म का इस्तेमाल करके अच्छा उत्पादन ले सकते हैं।
भीमा सुपर ,भीमा राज ,भीमा रेड ,भीमा डार्क रेड, और इसमें सफेद जाति भी आती है जिसका नाम है भीमा शुभ्रा ,भीमा सफेद , भीमा श्वेता, बसवंत 780,फुले समर्थ, एग्री फाउंड डार्क रेड,और अर्का कल्याण इन सब किस्म का आप इस्तेमाल कर सकते हैं।
नर्सरी प्रबंधन
नर्सरी में उगने वाले पौधे स्वस्थ और अच्छी किस्म के होते हैं। इसलिए नर्सरी प्रबंध करना अति आवश्यक हो जाता है। अगर हमारी पौधे सही वक्त पर तैयार हो जाते हैं, तो हमें अच्छा मार्केट मिलने से कोई रोक नहीं पाता है। इसलिए नर्सरी प्रबंध करना यह एक Pyaj ki kheti करने का अच्छा तरीका है।
नर्सरी बेड
नर्सरी बेड की लंबाई और चौड़ाई 50 * 60 होनी चाहिए। इसके ऊपर ठिबक या फिर तुषार सिंचाई की व्यवस्था होनी चाहिए। बीज बोने से पहले गोबर की खाद या फिर अन्य उर्वरक सही मात्रा में मिलाकर उसकी ऊपरी भाग पर मिला देना चाहिए।
बीज उपचार
बुवाई से पहले बीज को 2 ग्राम थायराइड का इस्तेमाल करके 1 किलो बीज को लगाना चाहिए। ऐसा करने से हमारे बीज की उगने की शक्ति बढ़ती है।बुवाई
बेड पर 2 सेंटीमीटर कि खोली करके बीज की बुवाई करनी चाहिए। एक चौरस मीटर में 5 से 6 ग्राम तक बीज का उपयोग होना आवश्यक है।
बुवाई करने के बाद बीज को अच्छे से मिट्टी के मदद से ढक देना चाहिए। और उसके ऊपर घास का एक छोटा सा लेयर बिछाना चाहिए। क्योंकि जब हम सिंचाई करें तो मिट्टी में नमी बनाए रखनी चाहिए।
सिंचाई
आप अगर सिंचाई ठिबक या फिर तुषार सिंचन से करते हैं। तो आपको पानी की लागत कम लगेगी और इससे हमारा फायदा भी होगा। 3 एचपी की मोटर हमने 30 मिनट तक भी चलाई तो हमारे दो एकड़ के पौधे आराम से तैयार हो जाएंगे।
तापमान
जब हम नर्सरी में पौधे उगाते हैं, उस समय धूप बहुत होती है। वहां का तापमान करीब करीब 40 डिग्री सेंटीग्रेड से 48 डिग्री सेंटीग्रेड तक होता है। इसको कंट्रोल करने के लिए हमें नेट शेड का इस्तेमाल करना चाहिए। ताकि हमारे पौधे धूप की वजह से खराब ना हो।गुण एवं उपयोग
प्याज मे तीखा पण होता है। प्याज गंध युक्त होता है। जब भी हम प्याज काटते है, तो हमारे आखो मे पाणी आ जाता है।इसका एक गुण और खास हैं अगर किसी को मिर्गी का दौरा पड़ा है, तो प्याज को फोड़ कर उसे सुंग दे तो ठीक हो जाता है। यह इसका बहुत खास गुण है।
- इसका उपयोग दवाईयो मे भी किया जाता है खून मे प्लेटलेट की कमी हो तो उसे बढाने मे भी मदत करता है।
- सलाद बनाने मे काम आता है।
- भारत में या अन्य देश मे भी प्याज आमतोर पर मसाले के रूप मे भी काम मे आता है।
- आयुर्वेद की दवाइयां बनाने में काम आता है।
- इसे सेवन करने से पाचन शक्ति भी बढ़ती है।
- गर्मी के मौसम में प्याज का बहुत इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि यह शरीर को ठंडा रखने में मदद करता है।
- प्याज हमें धूप लगने से बचाता है। जब लू लग जाती है, तो इसको भून के खाने से लू ठीक हो जाती है।
रोपाई का समय
जब हमारे पौध तैयार हो जाते हैं तो हमें सही वक्त पर रोपाई कर लेनी चाहिए। नवंबर दिसंबर यह रोपाई के लिए सही समय होता है। अगर हम रोपाई सही समय पर करते हैं, तो हमारी उपज भी सही समय पर निकलती है। और हमें मार्केट मे अच्छा रेट मिल सकता है।Pyaj ki kheti के लिए खेत की तैयारी
प्याज की खेती के लिए खेत की तैयारी करना बहुत जरूरी है। इसके लिए खेत में पहले जो भी फसल उगाई थी उसको निकाल कर खेत को कल्टीवेटर कर लेना चाहिए। बाद में उसको रोटावेटर करके जमीन समतल करनी चाहिए।पौधे की रोपाई
जब आप पौध की रोपाई करेंगे तो पौधे से पौध की दूरी 10 सेंटीमीटर से लेकर 12 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए। तब जाकर प्याज को मोटा होने में भी आसानी होगी।
अगर आप इससे ज्यादा डिस्टेंस ले रहे हैं। तो इसका असर हमारे उत्पाद में भी पड़ेगा और फसल में ज्यादा मात्रा में खरपतवार निकलेगी। और खरपतवार निकालने में हमारा खर्चा भी बढ़ सकता है। इसके लिए डिस्टेंस मेंटेन करना बहुत आवश्यक है।
खाद एवं उर्वरक
Pyaj ki kheti के लिए प्रति हेक्टर 10 टन गोबर के खाद का इस्तेमाल करना अनिवार्य है। जब आप गोबर का खाद खेत में डालेंगे, इससे 10 या 15 दिन पहले उसमें ट्राइकोडर्मा प्रति हेक्टर 5 किलो के हिसाब से उसमें मिलाकर हल्का सा पानी का छिड़काव कर देना चाहिए। क्योंकि गोबर के खाद पर ट्राइकोडर्मा की बुरशी पैदा होने लगती है। अगर हम पानी ज्यादा मात्रा में देते हैं तो तकरीबन सात सेमी नीचे तक पानी जाता है तो उसमें से घास उगने लगेगी तो उस घास को मार कर हम अच्छा नियोजन कर सकते हैं।
रासायनिक खाद की बात करें तो प्रति हेक्टर 100 किलो नाइट्रोजन, 50 किलो फास्फोरस ,और 50 किलो पोटाश, और हो सके तो 30 - 35 या फिर 40 - 45 किलों सल्फर की भी आवश्यकता होती है।
आप अगर रासायनिक खाद बेड तैयार करने से पहले खेत में डालते हैं, तो यह हमारे लिए फायदेमंद होता है।
अगर नाइट्रोजन की बात करें तो यह सिंचाई करते वक्त भी हम पानी में घोल बनाकर भी दे सकते हैं। और रही बात बाकी उर्वरकों की तो यह एक साथ नहीं देना है। बल्कि चार से पांच हफ्तों में थोड़ा-थोड़ा देना है।
जब हमारी फसल 50 से 60 दिनों की हो जाती है। तो 19-19-19 इस खाद का छिड़काव करना चाहिए। और इसके साथ ही 0-0-50 इस खाद का भी छिड़काव करना चाहिए। इसकी वजह से प्याज की साइज बढ़ती है।
सिंचाई का समय
अगर आप ठीबक से सिंचाई करते हैं। या फिर तुषार से सिंचाई करते हैं। तो पानी की बचत हो सकती है। और अगर आप खुला पानी छोड़ते हैं। तो शुरुआत के दिनों में दिसंबर या जनवरी इस महीने में ठंड होने की वजह से ज्यादा पानी देने की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए 10 दिन के अंतराल में आप पानी छोड़ सकते हैं। लेकिन जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जाती है। तो 5 से 7 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करना बहुत आवश्यक हो जाता है। सिंचाई करते समय यह जरूर ध्यान रखें। जमीन में दरारे नहीं जानी चाहिए। और यह भी ध्यान रखें ज्यादा सिंचाई भी हानिकारक हो सकती है। इसलिए ध्यान रखकर ही सिंचाई करें।
खरपतवार प्रबंधन
अगर हम Pyaj ki kheti में खरपतवार प्रबंधन नहीं कर सकते हैं। तो हमारा 50% नुकसान हो जाता है। इसलिए खरपतवार प्रबंधन अति आवश्यक है। इसलिए हमें इन सब चीजों का ध्यान, खेत की जुताई करते समय ही रखना पड़ता है। इसके लिए जमीन पर खुला पानी छोड़कर जो मिट्टी में बीज है। उसे उगने दे फिर जुताई करके उस मिट्टी को उल्टा पलट कर दे ताकि जो भी घास उगी थी वह सब मर जाएगी। जब हम बेड तैयार करते हैं, तो उसे बेड पर ऑक्सीफ्लोरीफैन 1.5 मिली और पेंडामेथिनिल 3 मिली 1 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़कना चाहिए तो 40 से 45 दिनों तक घास वहां पर नहीं उगता है। पर यह बात आप अवश्य ध्यान रखें जब भी आप इसका इस्तेमाल करोगे तो जमीन में नमी होनी चाहिए।
अगर आप रासायनिक चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं। तो मजदूर लगाकर आप घास को निकाल सकते हैं। लेकिन इसके वजह से लागत ज्यादा हो जाएगी, इसको ध्यान में रखते हुए हम आपको ऊपर विकल्प दिया है।
प्याज की फसल पर लगने वाले कीट एवं प्रबंधन
- जब हमारी फसल 30 दिन की हो जाती है। उसके बाद मेन्कोझेब 2.5 ग्राम और मीथोमिल 0.8 ग्राम प्रति 1 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं।
- फसल जब 45 दिन की हो जाती है। तो हमें ट्रायसाक्लॅझाॅल के साथ 1 ग्राम और कार्बोसल्फान 2 मिली प्रति एक लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए।
- अगर आपको ट्रायसाक्लॅझाॅल नहीं मिला तो उसके अलावा आप प्रोपीकोनॅझोल 1 ग्राम और कार्बोसल्फान 2 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं।
- जब आपकी फसल 60 दिन की हो जाती है तो हेक्साकोनॅझोल 1 ग्राम और प्रोफेनोफाॅस 1 मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए।
- अगर यह बाजार में उपलब्ध नहीं है, तो आप कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 2.5 ग्राम और प्रोफेनोफाॅस 1 मिली प्रति लीटर के हिसाब से छिड़काव कर सकते हैं।
प्याज की फसल में लगने वाली विभिन्न रोग
प्याज की फसल को फुफूंदी, आंगमारी, गलन और रस चूसने वाले कीटों से बाधित रहती है। इन्हीं कीटों की वजह से हमारी फसल बर्बाद हो जाती है। इसलिए बताए गए औषधि का इस्तेमाल करके हम अपनी फसल को स्वस्थ रख सकते हैं।
फसल चक्र
- आपने अगर पहले साल फूलगोभी लगाई है। तो दूसरे साल आलू उगा सकते हैं। और उसके बाद प्याज उगा सकते हैं।
- अगर आपने पहले साल धान लगाया था। तो आप दूसरे साल और तीसरे साल प्याज भी लगा सकते हैं।
- अगर आपने पहले साल आलू लगाया था। तो दूसरे साल फूलगोभी लगा सकते हैं। और उसके बाद आप प्याज की फसल ले सकते हैं।
फसल निकालना
जब हमारे पौधे का तना सूख जाता है। तब किसान भाई को समझना चाहिए कि हमारी फसल निकालने के लिए तैयार हो गई है।तब आपको खुरपी के मदद से फसल को उखाड़ लेना चाहिए।अगर ज्यादा मात्रा में है ,तो आप हल चला कर भी निकाल सकते हैं।
फसल को सुखाना
जब फसल निकल जाती है, तो उसे सुखना बहुत जरूरी होता है क्योंकि उसमें पानी की मात्रा होती है। अगर वैसे ही हम भंडारण कर देंगे तो सड़ने और गलने की समस्या ज्यादा मात्रा में होती है। इसके लिए तीन-चार दिन उसको बाहर ही सुखाना चाहिए।सही जगह भंडारण
अगर आप सही जगह भंडारण करते हैं। तो सड़ने गलने की वजह से होने वाली जो परेशानी है, उससे हम बच सकते हैं। जब भी हम भंडारण करते हैं, तो हमें यह ध्यान रखना चाहिए की हवा का आवागमन ठीक तरह से हो। किसी भी हवा बंद जगह में नहीं रखना चाहिए। अगर बोरे में भर कर रखते हैं, तो उसमें हवा जानी चाहिए। या फिर जाल टाइप का बोरा होना चाहिए।उपज एवं उत्पाद
अगर आप बताई गई जानकारी के अनुसार खेती कर रहे हैं। तो आप भी प्रति एकड़ में 15 से 20 टन माल निकाल सकते हैं।प्याज की खेती के बारे में निकला हुआ हल या निष्कर्ष
अगर आप बताई गई जानकारी के साथ Pyaj ki kheti करते है। तो आप इस खेती मे अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते है। प्रति एकड 15 से 20 टन उत्पाद होता है। और मेरे गाव के किसान भाईयों ने भी उसका उत्पादन लिया है। अगर आप अपनी सुझबुझ के साथ मार्केट को देख के सही समय पे बेच सकते है। तो आप अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं।प्याज की खेती के बारे में पूछे गए सवाल
FAQs
Que 7. भारत मे प्याज किस मौसम मे उगाया जाता है?


