भारत के किसान Kapas ki kheti को नगद फसल के रूप में देखते है. और इस लिये भारत के बहोत राज्य मे Kapas ki kheti की जाती है.भारत में लगभग लगभग 27 प्रतिशत क्षेत्र में कपास की खेती की जाती है. भारत में कपास की पैदावार भी अच्छी मात्रा में होती है. भारत कपास के उत्पादन में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है. सर्वोत्तम उच्चतम और अधिक मात्रा में पैदावार होने के कारण भारत को अन्य देशों से भी बहुत अच्छी मात्रा में राशि प्राप्त होती है.
Kapas ki kheti - कपास की खेती बुवाई से चुनाई तक
जमीन का चयन कैसे करे
भारत में लगभग लगभग अच्छी गुणवत्ता की जमीन पायी जाती है.
कपास के लिए अच्छी जल निकास वाली जमीन का उपयोग करना चाहिए.
Kapas ki kheti के लिए काली मिट्टी की बहुत जरूरत होती है. और काली मिट्टी में ही फसल दमदार आती है. इसीलिए कपास के खेती को ब्लैक कॉटन सॉइल कहा जाता है. क्योंकि काली मिट्टी जल का निकास अच्छे से करती है.
अगर आपके पास सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है, तो आप बलुई मिट्टी और बलुई दोमट मिट्टी में भी कपास की खेती कर सकते हैं.
Kapas ki kheti के लिए जमीन का पीएच 5.5 से 6 के बीच में होना चाहिए.
Kapas ki kheti के लिए अनुकूल तापमान
Kapas ki kheti के लिए अनुकूल तापमान 32 से लेकर 34 डिग्री तक आवश्यक होता है.कपास के पौधे का विकास 21 से 27 डिग्री तापमान होने पर अच्छा विकास होता है.
कपास खेती के लिए मौसम आवश्यक
Kapas ki kheti जून के महीने में बुवाई की जाती है. उस समय वर्षा की आवश्यकता 50 सेमी से लेकर 100 सेमी तक होनी चाहिए, अगर बारिश 150 सेमी से ऊपर होती है, तो फसल की बर्बादी होती है,और उत्पादन में घट होती है.
कपास के खेत की तैयारी
Kapas ki kheti तयार करने के लिए मार्च एप्रिल महिने मे कल्टिवेशन करना जरुरी है. क्योंकि जमीन को कल्टीवेशन करते रहोगे तो उत्पादन में बढ़ोतरी होती रहेगी, जमीन का पोत सुधरेगा ,और जो भी जमीन में नाइट्रोजन की कमी रहती है, उसकी भरपाई होगी. जब जमीन पर धूप आती है, तो जमीन के भीतर नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है,और यह नाइट्रोजन हमारे फसल के लिए बहुत जरूरी होता है.कल्टीवेशन के बाद रोटावेटर कर लेना चाहिए. और पूरी जमीन को समतल करनी चाहिए जमीन समतल होने के बाद एक दो बार मिट्टी को फिर उल्टा पलट करना चाहिए
उन्नत किस्म का चयन
अगर आप सही किस्म का चयन नहीं करते हैं तो पैदावार में घट हो सकती है. इसके लिए उन्नत बीज का चयन करना आवश्यक है .कपास की टॉप 10 किस्म
राशि 659राशि नियो
भक्ति
कावेरी जादू
मनी मेकर
गोल्ड Cott
सुपर Cott
अजीत 155
नवनीत
मोक्ष
कपास के बुवाई का तरीका
बीटी कपास बोते समय हमें अंतर का ध्यान रखना आवश्यक है.अगर हम डिस्टेंस मेंटेन नहीं करेंगे तो हमारे उत्पादन में घट हो सकती है, क्योंकि फसल को हवा का आवागमन होना जरूरी होता है, इसी के चलते बीटी कपास के लिए अंतर बहुत आवश्यक है.
तो मध्यम भारी और हल्की जमीन के लिए Supercott ,Goldcott, अजित 155 यह किस्म अच्छी पैदावार देती है. इसका डिस्टेंस 3*1, 4*1, 5*1 इस अंतराल में आप फसल की बुवाई कर सकते हैं.
अंतरफसल
कीटकनाशक
किसान भाईयो कीटकनाशक का छिड़काव करना आवश्यक है.यदि आप सही समय पर छिड़काव नहीं करते हैं, तो पैदावार में घट हो सकती है. इसी लिए किटो की रोकथाम के लिए छिड़काव करना ज़रूरी है.
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ज्यादातर किसान किसी भी समय कीटनाशक का छिड़काव करते हैं पर किसानों को यह बात समझनी चाहिए कि वह सुबह के टाइम पर या फिर शाम के टाइम पर कीटकनाशक का छिड़काव करें. क्योंकि दोपहर में करेंगे तो धूप बहुत रहेगी और इस वजह से कीटकनाशक का प्रयोग अच्छी तरह से नहीं हो पाएगा. अगर बादल बादल है मौसम बदल बदल सा है तो आप दिन भर भी छिड़काव कर सकते हैं परंतु जब आपको लगे की बारिश होने की संभावना है तो आप उसका छिड़काव करना बंद कर दे. और अगर अत्यंत जरूरी है तो मार्केट में स्टिकर अवेलेबल है जो 400 500 प्रति लीटर के हिसाब से मिलता है उसको लेकर आप छिड़काव कर सकते हैं. पर मेरे विचार से आप अगर अच्छे मौसम में छिड़काव करेंगे तो रिजल्ट कुछ अच्छा रहेगा. और आपके पैदावार में बढ़ोतरी होगी.
कीटनाशक का छिड़काव करते समय बताई गई उतनी ही मात्रा में किटकनाशक का छिड़काव करें ज्यादा मात्रा में आप उसका प्रयोग करेंगे तो फसल बर्बाद भी हो सकती है.
इसका जरूर ध्यान रखें की कीटनाशक छिड़काव करते समय सावधानियां बरतनी है जैसे मुंह पर मास्क होना चाहिए, हाथों में दस्ताने होने चाहिए आंखों में चश्मा होना चाहिए और तंबाकू गुटखा वगैरा का सेवन न करें यह आपके शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है.सतर्कता से आप उसका छिड़काव करें.
कुछ कीटकनाशक हम आपको बताएंगे जिसका प्रयोग आप कर सकते हैं.
यह सिस्टमैटिक इंसेंटिसाइड है
Acetamiprid 20% SP यह सॉल्युबल पाउडर के फॉर्म में आता है.
इसका काम है सफेद मक्खी को कंट्रोल करना.
इसका इस्तेमाल 150 से 200 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए.
इसके प्रोडक्ट है EKKA ,BADSHAH,POUND,ENOVA
Profenofos 40% + Cypermethrin 4% EC में आता है
यह थ्रीप्स, इल्लिको,को रस चूसने वाले कीटों को नियंत्रित करता है यह एक ब्रॉड स्पेक्ट्रम इंसेंटिसाइड है इसका छिड़काव 250 से 300 ML प्रति एकड़ के हिसाब से करना चाहिए
प्रोडक्ट्स Profex Super, Rocket
Acephate 75% SP सॉल्युबल पाउडर में आता है इसका काम है जब फसल के पत्ते लपेट जाते हैं तो लपेट को कंट्रोल करना होता है.
Aphids, Jassids को कंट्रोल करता है.
इसका छिड़काव आपको 250 से 300 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से करना चाहिए इसके
प्रोडक्ट Asataf,Tremor,Abic
Emamectin Benzoate 5% SG सॉल्युबल ग्रेन्यूल्स के फॉर्म में आता है.
इसका काम है इल्ली के साथ रस चूसने वाले कीट को नियंत्रित करना
और इसका छिड़काव प्रति एकड़ के हिसाब से 80 से 100 ग्राम इतना होना चाहिए
प्रोडक्ट्स Missile, Proclaim, Trust
Thiamethoxam 25% WG में आता है उसका काम है रस चुसने वाले कीटों को कंट्रोल करना यह एक सिस्टमैटिक इंसेंटिसाइड है
जो लीफ माइनर, सफेद मक्खी, Thrips, और लीफ हॉपर को कंट्रोल करता है
प्रोडक्ट Actara, Extra
Imidacloprid- 70% WG
यह केवल और केवल Thrips और रस चूसक कीटों को नियंत्रित करता है इसका छिड़कने की मात्रा है 50 ग्राम प्रति एकड़
प्रोडक्ट्स Admire, Ghajini, Caliber
Spintorum- 11.7% SC यह हरी इल्ली के साथ सभी प्रकार के रस चुसने वाले कीटों को तथा सभी इल्ली को कंट्रोल करता है.
इसका डोज प्रति एकड़ के हिसाब से 150-180 ML होना चाहिए.
प्रोडक्ट Deligate,Largo,Summit
Diafenthiuron- 50%WP वैटेबल पाउडर के फॉर्म में आता है इसका काम है Aphids, Jassids,Whitefly, इल्ली और रस चूसने वाले कीटों को कंट्रोल करता है.
जिसका छिड़काव प्रति एकड़ 200 से 250 ग्राम होना चाहिए.
प्रोडक्ट्स Pager, Polo
Fipronil 40% + imidacloprid- 40% WG
इसका काम है Thrips,Aphids,Jassids, green leaf hopper, रस चूसने वाली किट यह सभी को कंट्रोल करता है
इसका प्रति एकड़ में छिड़काव 100 से 150 ग्राम प्रोडक्ट Police, Leesenta, Laser
Flonicamid-50% WG यह एक अंतर प्रवाही कीटकनाशक है
इसका काम है Aphids,Jassids,Thrips, Whitefly, रस चुसक सीटों को कंट्रोल करता हैं.
इसका डोज है 50-60 ग्राम प्रति एकड़
प्रोडक्ट Ulala
कपास की खेती में उपयोग करने वाले यह सभी
कीटकनाशक हैं. तो आप सही तरीके से दी गई मात्रा के अनुसार ही प्रयोग करें अगर आप इससे ज्यादा छिड़काव करेंगे तो फसल बर्बाद भी हो सकती है.
बहार के समय छिड़काव करें
प्रोडक्ट Nexon, Flower strong यह 30 ML के हिसाब से प्रति पंप आपको इस्तेमाल करना है
19-19-19 यह एक खाद है जो हम spraying के माध्यम से देते हैं इसका इस्तेमाल पौधों को मजबूत स्वस्थ और ताकतवर बनाने के लिए होता है. जिस जगह पर पानी जमा हुआ होता है. वहां इस्तेमाल करेंगे तो फसल को बर्बाद होने से हम बचा सकते हैं.
12-61-0 यह भी एक खाद है जो हम spraying के माध्यम से देते हैं इसका इस्तेमाल जब हमारी फसल 35 से 40 दिन की हो तब करना चाहिए.
0-52-34 यह एक खाद है जो spraying के माध्यम से दिया जाता है इससे पैदावार बढ़ती है पौधे का विकास होता है फूल फल ज्यादा मात्रा में आते हैं और जो पौधे का हाइट है वह स्टॉप हो जाता है.
0-0-50 यह एक खाद हैं जो spraying के माध्यम से दिया जाता है. जो की बुरशी को रोकता है बड़े-बड़े साइज के टिंडे बनाने के लिए इसका इस्तेमाल होता है फूल गिरने से रोकथाम होता है और फूलों और फल में बढ़ोतरी होती है
13-0-45 यह भी एक खाद हैं जो spraying के माध्यम से दिया जाता है. इसका इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा हाइट बढ़ाने के लिये होता है. और जो टिंडे लगते हैं उसकी साइज बढ़ाने में होता है.
खरपतवार नाशक का इस्तेमाल
किसान भाइयों जब हमारे खेत में खरपतवार हो जाती है तो हमारी मुख्य फसल का विकास होना रुक जाता है. तब हमें खरपतवार निकालने के लिए मजदूरों की जरूरत पड़ती है अगर वह वक्त पर ना मिले तो हमें नुकसान झेलना पड़ता है इसी कारण हम खेत में खरपतवार नाशक का इस्तेमाल करते हैं ताकि हमें वक्त पर काम हो और फसल भी अच्छी रहे इसका इस्तेमाल करते समय हमें सावधानियां बरतनी पड़ती है क्योंकि इसकी रासायनिक संरचना Glyfosate 41% SL हैंयह एक खरपतवार नाशक है जिसके ज्यादा इस्तेमाल करने से हमारी जमीन खराब भी हो सकती है और इसके इस्तेमाल करने से हमारे मुख्य फसल को भी असर होता है पर अगर हम इसका संतुलित प्रकार से इस्तेमाल करें तो यह हमें फायदा दिला सकता है अगर खरपतवार ज्यादा बड़े ना हो तो हम 30 या 40 ML पंप के हिसाब से इसको खरपतवार पर छिड़क दे तो 10 दिन में पूरा खरपतवार मर जाता है और हमारे मुख्य पिक को असर भी नहीं होता अगर हम उससे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो मुख्य फसल पर असर होने के चांसेस बढ़ जाते हैं
अगर हम इसके साथ हुमिक एसिड का भी इस्तेमाल करते हैं प्रति पंप 50 ML तो ज्यादा असर मुख्य फसल को नहीं पहुंचता है इसको छिड़काव करते समय हमें इसकी सावधानी बार बार इतनी होती है की मुख्य फसल पर किसी भी तराह से उसका छिड़काव ना जाये सिर्फ और सिर्फ खरपतवार पर ही उसका छिड़काव हो यह सावधानी बरतनी होगी तब जाकर हमें अच्छा रिजल्ट मिलेगा
खाद का प्रयोग
कपास की खेती मे खात का प्रयोग करना उतना ही आवश्यक है जितना की मानव को जीने के लिए भोजन करना, इसका जादा इस्तेमाल भी ना हो इसका भी ध्यान जरूर रखना चाहिए अगर इसका ज्यादा इस्तेमाल होता है तो हमारी जमीन नापीक भी हो सकती है उसका संतुलित और सही व्यवस्थापन करके इस्तेमाल करना चाहिए तब जाकर हमारे उत्पादन मे बढोतरी होगी और सही मायने में किसानो को फायदा भी होगाकपास की खेती के लिए लगने वाले उर्वरक
डीएपी20-20-0-13
सिंगल सुपर फास्फेट
10-26-26
18-18-10
Urea
Potash
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Fertilizers |
First dose |
Second dose |
Third dose |
Fourth dose |
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Micronutrients |
25 kg per acre |
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S-S-P |
5o kg per acre |
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Urea+Potash |
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Urea 40kg+ Potash 20kg per acre |
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Urea 40kg+ Potash 20kg per acre |
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20-20-0-13 |
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5o kg per acre |
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छाटणी करना
छाटणी करना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि जब हमारी फसल 1.5 मीटर से ज्यादा बड़ी होने लगती है तो हवा का आवागमन सही तरीके से नहीं हो पाता है और फूल और फल गिरने की संभावना ज्यादा होती है इसलिए छाटणी करना बेहद ही जरूरी है इसलिए 1.5 के करीब पौधा जाते ही ऊपर का जो सिर होता है उसको कैची की मदद से काट दिया जाता है वह काटने के बाद हमारे फल और फूलों में भी वृद्धि होती है और इसी की वजह से हमारे उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है इसलिए एक सही समय पर छाटणी करना हमें फायदेमंद होता है.चूनाई करना
जब कपास निकालने के लिए हमारी फसल पूरी तरह से तैयार हो जाती है तो हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किस वक्त हमें चुनाई करना है क्योंकि अगर ओला गिरता है तो कपास के ऊपर पानी जमा होता है तो सुबह के टाइम पर हमारा कपास गीला रहता है तब हम चुनाई करेंगे तो कपास का औसतन वेट तो बढ़ेगा पर मॉइश्चर ज्यादा मात्रा में होने के कारण हमें उसका रेट अच्छा नहीं मिलेगा या भाव अच्छा नहीं मिलेगा तो हमें सूरज निकलने के बाद ही थोड़ा धूप होने के बाद या 10:00 बजे से हमें वह काम करना शुरू कर देना चाहिए और अगर आप ज्यादा दिन तक धूप में ही रखते हैं और उसको जल्दी निकाल कर लाते ही नहीं है तो भी हमारे उत्पादन में घट हो सकती है क्योंकि उसमें का पूरा मॉइश्चर घट जाता है और औसतन उसका वजन जो है वह कम हो जाता है उसी के कारण हमारा उत्पादन घट जाता है तो हमें यहां याद रखना है की कपास निकलने को भी ज्यादा दिन नहीं लगानी चाहिए और उसको अच्छी जगह रखना चाहिए अगर आप गिले जगह रखोगे तो उस पर ब्लैक कलर आएंगे तो हमें अच्छा रेट नहीं मिलेगाउत्पादन
निष्कर्ष/ Conclusion:-
हमने इसी प्रकार kapas ki kheti करके वर्ष 2019 से लेकर 2023 तक प्रति एकड़ 12 से 15 क्विंटल उत्पादन लिया है अगर आप भी इसी प्रकार से खेती करते हैं तो निश्चित ही आप भी इससे ज्यादा भी उत्पादन ले सकते हैं.FAQs
Que 4. कपास की खेती के लिए उचित भूमि कौन सी है?
Ans कपास की खेती ब्लैक कॉटन साईल में यानी काली मिट्टी में की जाती है। काली मिट्टी कपास की खेती के लिए उचित मानी जाती है।
Que 5. कपास की खेती कब होती है?
Ans कपास की खेती की बुवाई जून महीने के आखिरी सप्ताह तक की जाती है।
Que 6. कपास किस क्षेत्र में उगाया जाता है?
Ans कपास की खेती महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश में की जाती है।
Que 7. कपास की खेती के लिए कौन सी मिट्टी अच्छी होती है?
Ans कपास की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जाती है। लेकिन सबसे उपयुक्त मिट्टी काली मिट्टी होती है। जहां नमी बनाई रहती है। इसके वजह से कपास की खेती उत्तम तरीके से की जा सकती है। दोमट मिट्टी और बलुई मिट्टी इनमें भी कपास की खेती की जा सकती है।
Que 8. एकड़ में कपास कितना निकलता है?
Ans 1 एकड़ में कपास 10 से 15 कुंतल उपज देता है।
Que 9. भारत में सबसे बड़ा कपास किस राज्य में पैदा होता है?
Ans भारत में सबसे ज्यादा कपास की पैदावार गुजरात में होती है। महाराष्ट्र की बात करें तो सबसे ज्यादा पैदावार यवतमाल जिले में होती है।
Que 10. कपास उगाने में कितना समय लगता है?
Ans कपास की खेती पूरे साल भर चलती है। बुवाई से लेकर कपास निकलने तक 150 से लेकर 180 दिन लगते हैं।
Que 11. कपास लगाने का सबसे अच्छा महीना कौन सा है?
Ans कपास की बुवाई जून महीने में करना उपयुक्त माना जाता है। इसके बाद अगर आप बुवाई करते हैं,तो फसल पर कीटों का पादुर्भाव बहुत होता है। और पैदावार में गिरावट आती है।
Que 12. कपास के लिए कौन सा खाद देना चाहिए?
Ans कपास के लिए सड़ी हुई गोबर की खाद जुताई करते समय ही डाल देनी चाहिए। बाद में सिंगल सुपर फास्फेट प्रति एकड़ 100 किलो बुवाई के समय डाल देनी चाहिए। नाइट्रोजन प्रति एकड़ 50 किलो प्लस पोटाश प्रति एकड़ 20 किलो बुवाई के 25 दिन बाद देनी चाहिए। और इतने ही अंतराल पर दूसरा तीसरा डोज 20-20-0-13 का भी दे देना चाहिए।
Que 13. कपास में पोटाश कब देना चाहिए?
Ans फूल और फल बनने के समय में पोटाश कपास की खेती में देना चाहिए।

